कभी-कभी एक जुड़ाव में भी संघर्ष पैदा हो सकती है। जब इच्छाएं दिन-रात जाती हैं, तो विकल्पों का मार्ग भी अनपेक्षित हो सकता है।
भरतराज का आगमन
यहाँ भूली हुई नगरी में शांति छाया हुआ था। जनता राजा भरत की उम्मीद से व्याकुल थी। सारे अपने प्रभु का स्वागत करने के लिए तैयार थे। अपने देश को फिर से पाने का सपना उन सभी भावनाओं में समाया हुआ था।
उनकी वापसी एक नई परिवर्तन का संकेत थी। लोग उस दिन को लेकर हर्षित था। महाराजा भरत की वापसी उनकी राज्य के लिए एक नया युग शुरू करेगी।
धर्म एवं प्रेम का सम्मेलन
प्रेम सर्वोत्तम अस्तित्व का मुख्य उद्देश्य है। यह मानव जीवन को सुख प्रदान करता है। धर्म, तो जीवन जीने के लिए एक पथ प्रदान करता है, जो हमें सही मार्ग पर ले जाता है। जब प्रेम और धर्म का मिलन होता है, तो जीवन का अर्थ समृद्ध हो जाता है। यह एकता हमें एक शक्तिशाली और निर्भीक आत्मा प्रदान करता है जो जीवन को उन्नत बनाती है।
पढाई के साधने से विश्वास
विश्वआधुनिक सभ्यता में विद्या का स्थान अत्यधिक महत्वपूर्ण है. विद्यार्थी जीवन के आरंभ से ही हमें यह सिखाया जाता है कि ज्ञान अर्जन ही Bharat Milap हमारे जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य है. विद्या के बल पर विश्वास रखने से हम न केवल अपने व्यक्तिगत विकास में सफल होते हैं बल्कि समाजको भी उन्नति प्रदान करते हैं. यह हमारे कर्तव्य है कि लगातार ज्ञान अर्जित करना जारी रखें और विद्या के प्रति हमेशा प्रेम और आदर का भाव रखें.
माँ की साक्षात्कार , वचन भाई के लिए
एक मां की प्रेरणा है, वह जगमगाती तारा जहाँ भी देखो। उसका प्यार एक गहरी नदी की तरह बहता है और हर कदम पर वह हमें आगे बढ़ाने में मदद करती हैं। उसके आशीर्वाद से ही हम अपनी पसंद का मार्ग चुन सकते हैं। एक भाई के प्रति वचन, एक जज़्बा जो कभी कम नहीं होता, हमेशा साथ रहने की शपथ है। वो हमारा दोस्त, विश्वासपात्र और साथी है, जिसे हम हर मुश्किल में सहारा मानते हैं।
रामराज्य की स्थापना
एक सच्चे दशक/यूग/काल में मानवता/जनता/समाज की भलाई ही सर्वोपरि होती है। रामराज्य, वह आदर्श राज्य जो न्याय/सच्चाई/धर्म के साथ संचालित होता है और हर नागरिक को समानता/प्रेम/भागीदारी देता है। यह एक ऐसा राज्य होगा जहाँ शांति/अमन/कल्याण का प्रचलन हो और गरीबी/विश्वासघात/अत्याचार दूर हों। रामराज्य की स्थापना, केवल एक भाषण नहीं, बल्कि एक आवश्यकता/संकल्प/दायित्व है।
यह राज्य हमें ज्ञान/योग्यता/विकास से लैस करके और नैतिकता/धार्मिकता/मूल्यों को स्थापित करके ही प्राप्त होगा। हर नागरिक को अपने कर्तव्यों/भूमिकाओं/प्रतिबद्धताओं का पालन करना चाहिए ताकि हम एक साथ रामराज्य की नींव रख सकें।